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घन आए.

घन आए...
घन आए घनश्याम न आए, 
झूठे ही सावन इतराए।
घन आए, घनश्याम न आए।

झम-झम बरसें कारे बदरा,
बिन कान्हा के तरसे जियरा।
इसको झूला कौन झुलाए?
 घन आए, घनश्याम न आए।।

बिजुरी चमके जियरा चिहुँके,
बिन घनश्याम के रह-रह बहके।
गा-गा लोरी कौन सुनाए?
 घन आए, घनश्याम न आए।।

नदी-ताल-पोखर सब विहँसें,
हरे-भरे वन-उपवन विलसें।
छटा सावनी मन  ललचाए।
घन आए, घनश्याम न आए।।

बदरा, मेरी विनती सुन ले,
जाकर कान्हा से तू कह दे।
राधा पगली अब कित जाए?
घन आए, घनश्याम न आए।।
         ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
            9919446372

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5 Comments

Varsha_Upadhyay

06-Feb-2023 05:10 PM

शानदार

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Renu

06-Feb-2023 03:57 PM

👍👍🌺

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